मेरे लफ़्ज़ - Poetry

माँ

दूर बैठा हूँ मैं घर से.

और माँ तुम आती हो याद..

देखा था तुमको इस दिवाली

बरसों के बाद

तुम मुझे करती हो

कितना प्यार और दुलार भी

कि आज फिर दिल चाहता है

काढ़ों मेरे बाल तुम

इक टिफ़िन को डिब्बा हो

रोटी हो अचार हो

जूते के फीते भी केवल

तुमसे ही बधने को तैयार हों

एक आठ आना दो मुझे

टॉफ़ी लेने के लिए

और कहो कि मेरे छोटू

मेले है जाना इतवार को

-आकाश पांडेय

हीरो

पहाड़ में फंसी राधा ने मां से पूछा - अम्मा रेडियो पे सुना ईंडिया

जीत गई ,जो खेल रहे थे उन्हे एक करोड़ रुपिया मिला ,


मां बोली ‌हां बेटी सरकार कहती है वो देश के लिए खेल रहे थे..इसलिए .


राधा आसमान में हैलीकॉप्टर से लटकते जवान को देख के बोली.

- अम्मा क्या इन्हे भी मिलेगा एक करोड़ ?


मां बोली -ना बेटा हमारे यहां बल्ले से खेलने वाले को ईनाम मिलता है

जान से खेलने वाले को नहीं..वो खिलाड़ी उनके लिए असली हीरो है .


राधा बोली - असली हीरो -जैसे सारुख -सलमान..??

आकाश पांडेय - मुंबई ( 25 जून 2013 )